This is believed that a person’s misdeeds are eradicated by observing the simple rituals of Chitragupta Puja.
There is an interesting story of how King Saudas was rewarded.
Raja Saudas story
There was a king whose name was Saudas . King was unjust and tyrant . He did not ever had the good deed . One day, he was wandering in the wilderness . He saw a Brahmin who was worshiping . Out of curiosity he asked the Brahmin that whom we was praying. The Brahmin replied that today is Kartik Shukla’s second day and I am worshiping Yamraj (God of death) and Chitragupta (His bookkeeper) . Their worship is supposed to provide salvation from hell . After hearing this, Saudas also followed the rituals and performed the worship.
Later, when his time was complete, messengers of god came to earth and took him to God Yamaraj. He was produced before in his court. When his books were examined by Chitragupta, and he told to Yamaraj – Though he is sinful and tyrant, but he has performed yours and my worshsip with proper rituals, hence he cannot be sent to hell. His place is in heaven. Thus by performing only one day of puja, he was absolved of his sins.
Raja Saudas story in hindi
राजा अधर्मी और पाप कर्म करने वाला था. इस राजा ने कभी को पुण्य का काम नहीं किया था. एक बार शिकार खेलते समय जंगल में भटक गया. वहां उन्हें एक ब्रह्मण दिखा जो पूजा कर रहे थे. राजा उत्सुकतावश ब्रह्ममण के समीप गया और उनसे पूछा कि यहां आप किनकी पूजा कर रहे हैं. ब्रह्मण ने कहा आज कार्तिक शुक्ल द्वितीया है इस दिन मैं यमराज और चित्रगुप्त महाराज की पूजा कर रहा हूं. इनकी पूजा नरक से मुक्ति प्रदान करने वाली है. राजा ने तब पूजा का विधान पूछकर वहीं चित्रगुप्त और यमराज की पूजा की.
काल की गति से एक दिन यमदूत राजा के प्राण लेने आ गये. दूत राजा की आत्मा को जंजीरों में बांधकर घसीटते हुए ले गये. लहुलुहान राजा यमराज के दरबार में जब पहुंचा तब चित्रगुप्त ने राजा के कर्मों की पुस्तिका खोली और कहा कि हे यमराज यूं तो यह राजा बड़ा ही पापी है इसने सदा पाप कर्म ही किए हैं परंतु इसने कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को हमारा और आपका व्रत पूजन किया है अत: इसके पाप कट गये हैं और अब इसे धर्मानुसार नरक नहीं भेजा जा सकता. इस प्रकार राजा को नरक से मुक्ति मिल गयी.
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