सोमवती अमावस्या – महत्व
सोमवती अमावस्या को धर्म और परंपरा की दृष्टि से बहुत महत्व दिया जाता है। यह अमावस्या हिंदू धर्म में प्रतिदिन उपासना के लिए प्रयुक्त होने वाले उपायों में सबसे शक्तिशाली माना जाता है। इस दिन को सबसे शुभ माना जाता है। इस दिन को श्रद्धा से भारत के अनेक हिस्सों में मनाया जाता है।
सोमवती अमावस्या के दिन भक्त अपने पूर्वजों की याद में तर्पण करते हैं। इस दिन उन्हें प्रार्थनाएँ करना चाहिए जो इस संसार से गुजर चुके हैं। सोमवती अमावस्या का महत्व अत्यधिक है इसलिए कुछ मान्यताएं भी हैं जो इस दिन करने के लिए बताई जाती हैं।
इस दिन के अवसर पर लोग स्नान करते हैं और पितृदोष के निवारण के लिए तर्पण करते हैं। इसके अलावा, सोमवती अमावस्या के दिन धन संबंधी मुद्दों को सुलझाने के लिए भी उपयुक्त होता है। इस दिन का व्रत रखने से लोगों को समस्याओं से निजात मिलता है और उन्हें शुभ फल प्राप्त होता है।
पूजा विधि
यदि आप सोमवती अमावस्या पर पूजा करने की योजना बना रहे हैं, तो निम्नलिखित पूजा विधि का पालन कर सकते हैं:
सामग्री
लाल फूल और पुष्पांजलि
गंगाजल या पवित्र जल
लौंग, इलायची, दालचीनी, सौंफ, कपूर, धूप, दीपक, अगरबत्ती
सोने की थाली, कलश और मोली
पूजा मंडप और आसन
पूजा विधि
पूजा मंडप पर सोने की थाली रखें और उस पर कलश रखें। कलश में गंगाजल और सहस्रार्चना फूल रखें।
कलश के आस-पास से गंगाजल चिड़कें।
मोली का गण्डा लेकर उसे कलश के चारों ओर लपेटें।
लौंग, इलायची, दालचीनी, सौंफ, कपूर को मिश्रण बनाएं और इसे धूप में डालें।
दीपक जलाएं और अगरबत्ती जलाएं।
कलश को पूजन के लिए तैयार करें और उसे अपने सामने रखें।
अपने हाथों में फूल लेकर इस वक्त अपनी प्रार्थनाएं करें। फूलों को दीपक की ओर फेरें और उन्हें कलश में डालें।