Holi essay in Hindi

होली पर हिन्दी निबंध – Essay on Holi in Hindi

होली हिंदुओं के एक प्रमुख त्योहार के रूम में जाना जाता है। होली सिर्फ हिन्दुओं ही नहीं बल्कि सभी समुदाय के लोगों द्वारा उल्लास के साथ मनाया जाता है। फाल्गुन मास की पूर्णिमा को यह त्योहार मनाया जाता है। होली जिसे “रंगो के त्योहार” के नाम से भी जाना जाता है, भारत के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है।

भारत में होली का उत्सव अलग-अलग प्रदेशों में अलग अलग तरीके से मनाया जाता है। आज भी ब्रज की होली सारे देश के आकर्षण का बिंदु होती है। लठमार होली जो कि  बरसाने की है वो भी काफ़ी प्रसिद्ध है। इसमें पुरुष महिलाओं पर रंग डालते हैं और महिलाएँ पुरुषों को लाठियों तथा कपड़े के बनाए गए कोड़ों से मारती हैं। इसी तरह मथुरा और वृंदावन में भी १५ दिनों तक होली का पर्व मनाते हैं। कुमाऊँ की गीत बैठकी होती है जिसमें शास्त्रीय संगीत की गोष्ठियाँ होती हैं। होली के कई दिनों पहले यह सब शुरू हो जाता है।

ब्रज की लठमार होली

होली का त्यौहार मनाने के पीछे एक प्राचीन इतिहास है। प्राचीन समय में हिरण्यकश्यप नाम के एक असुर हुआ करता था। उसकी एक दुष्ट बहन थी जिसका नाम होलिका था। हिरण्यकश्यप स्वयं को भगवान मानता था। हिरण्यकश्यप के एक पुत्र थे जिसका नाम प्रह्लाद था। वे भगवान विष्णु के बहुत बड़े भक्त थे। हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु के विरोधी था। उन्होंने प्रह्लाद को विष्णु की भक्ति करने से बहुत रोका। लेकिन प्रह्लाद ने उनकी एक भी बात नहीं सुनी। इससे नाराज़ होकर हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को जान से मारने का प्रयास किया। इसके लिए हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से मदद मांगी। होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था । उसके बाद होलिका प्रह्लाद को लेकर चिता में बैठ गई परन्तु विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहे और होलिका जल कर भस्म हो गई

आज भी पूर्णिमा को होली जलाते हैं, और अगले दिन सब लोग एक दूसरे पर गुलाल, अबीर और तरह-तरह के रंग डालते हैं। यह त्योहार रंगों का त्योहार है।

होली के त्योहार को लेकर बच्चों में विशेष उत्साह होता है। वे होलिका दहन के लिए काफी पहले से लकड़ियाँ जुटाने लगते हैं। गाँवों में तो लकड़ियाँ आसानी से मिल जाती हैं पर शहरों के बच्चे घरों के खराब खराब फर्नीचर की तलाश करते हैं और अपने घर के अलावा दूसरों से भी माँगकर व्यवस्था करते हैं। होलिका तैयार करने में सभी लकड़ियों का योगदान करते हैं। महिलाएँ घरों में होली के पर्व के लिए घर पर मिलने आने वाले लोगों के लिए मिठाइयाँ, नमकीन और गुझिया बनाने में जुट जाती हैं। रंग और गुलाल का स्टॉक तैयार किया जाता है। फाल्गुन मास की पूर्णमासी को होलिका दहन के साथ त्योहार की शुरुआत होती है और अगले दिन होली का रंग-बिरंगा त्योहार मनाया जाता है। लोग एक-दूसरे के घर जाकर रंग-गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएँ देते हैं। शहरी संस्कृति ने होली मिलन कार्यक्रमों को जन्म दिया है जिसमें राजनैतिक दल, संस्थाएँ होली मिलन कार्यक्रमों का आयोजन करती हैं।

होली हमारे समाज मे एकता, शांति, प्रेम और खुशी का संदेश देती है। यह आपस मे भाईचारे को बढावा देती है। अनेक प्रकार और अनेक धर्मो के लोग एक साथ एक दूसरे को रंग लग के इस देश की अखण्डता और एकता का संदेश देते है। होली संदेश है की हम एक थे, हम एक हैं और हम एक रहेंगे।

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