शकुंतला दुष्यंत की कहानी – Shakuntala and Dushyanta Story in Hindi

शकुंतला दुष्यंत की कहानी प्राचीन भारत की संस्कृति और साहित्य का एक महत्वपूर्ण अंश है। इस कहानी का वर्णन कलिदास ने अपनी रचना ‘अभिज्ञानशाकुन्तलम्‘ में किया है।

शकुंतला एक राजकुमारी थी जो महर्षि काण्व के आश्रम में पल बढ़ी थी। वह बहुत ही सुंदर थी और अपनी संगीत और नृत्य की कला में माहिर थी। एक दिन राजा दुष्यंत उस आश्रम में आया था जहां शकुंतला रहती थी। शकुंतला ने उसे स्वागत किया और उसकी सेवा की।

राजा दुष्यंत शकुंतला की सुंदरता और उनकी कला से प्रभावित हो गए थे। उन्होंने शकुंतला से विवाह करने का फैसला किया और उसे अपनी रानी बनाया। उन्होंने उसे अपने राज्य में ले जाकर उसे खुश रखा। कुछ समय बाद, राजा दुष्यंत को अपने राज्य में काम होने के कारण दूसरी जगह जाना पड़ा। जब शकुंतला गर्भवती हुई तो उसने राजा को सूचित नहीं किया। राजा दुष्यंत भविष्यवाणी जानते थे कि उनका बेटा संसार का सबसे महान व्यक्ति होगा।

Durvasa curse on Shakuntala

शकुंतला ने अपने बच्चे को जन्म देने के बाद राजा को सूचित किया लेकिन उस समय राजा को महर्षि दुर्वासा ने एक शाप दिया था जिसके कारण वह शकुंतला को भूल गया था। शकुंतला ने राजा को बार-बार अपने बच्चे के बारे में याद दिलाने की कोशिश की लेकिन राजा उसे नहीं मानता था। अंततः, एक दिन शकुंतला अपने बच्चे को जंगल में छोड़ दिया और महर्षि कण्व के आश्रम में लौट गई। बाद में, शकुंतला के बच्चे ने एक महान व्यक्ति के रूप में विख्यात हो गया था। उसे अपने पिता के बारे में जानने का ख्याल था लेकिन उसे उसके नाम का ज्ञान नहीं था।

बाद में, राजा दुष्यंत को उसके बेटे के बारे में पता चला और उसे महर्षि कण्व के आश्रम में उसकी पुत्री शकुंतला की याद आ गई। वह अपनी गलती से पछताता था और अपनी पुत्री को ढूंढने के लिए वह उस महान व्यक्ति से मिलने गया था। राजा दुष्यंत को उसका बेटा मिल गया और उसके वर्तमान से पूर्व के समय की यादें उसे फिर से याद आने लगीं। शकुंतला ने भी अपने पति से मिलने का ख्याल रखा था और उसे उसके आश्रम में बुलाया।

अंततः, राजा दुष्यंत और शकुंतला का पुनर्मिलन हुआ और उनका प्रेम फिर से जागृत हो गया। वे एक दूसरे को फिर से विश्वास देने लगे और खुशी के साथ एक साथ रहने लगे।

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